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जालौन: इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, आपराधिक मामला विचाराधीन होने पर भी पासपोर्ट नवीनीकरण से रोकना गलत

भारत न्यूज़ लाइव

जालौन: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पासपोर्ट नवीनीकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि आपराधिक मामले के विचाराधीन होने के बावजूद किसी भी नागरिक को पासपोर्ट नवीनीकरण से रोका नहीं जा सकता। यह फैसला जालौन के निवासी सैय्यद गयासुद्दीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए आया, जिसमें पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आवेदन किया गया था लेकिन एक आपराधिक मामले के चलते इसे रोक दिया गया था।

पासपोर्ट अधिकारी को नवीनीकरण के निर्देश

हाई कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट रूप से पासपोर्ट अधिकारी को सैय्यद गयासुद्दीन का पासपोर्ट नवीनीकरण करने के निर्देश दिए हैं। गयासुद्दीन का पासपोर्ट 26 जून 2023 को समाप्त हो चुका था, और थाना कोतवाली कालपी में दर्ज एफआईआर के कारण उनका पासपोर्ट नवीनीकरण नहीं हो रहा था।

न्यायालय का स्पष्ट रुख:

न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि आपराधिक मुकदमा विचाराधीन होने पर पासपोर्ट नवीनीकरण से रोकने का कोई कानूनी आधार नहीं है। इस फैसले में पवन कुमार राजभर बनाम भारत संघ केस का हवाला दिया गया, जिसमें इसी तरह की परिस्थिति में न्यायालय ने नवीनीकरण की अनुमति दी थी।

भारत सरकार के अधिवक्ता का विरोध

भारत सरकार के अधिवक्ता ने इस याचिका का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि विचाराधीन आपराधिक मामलों में भी पासपोर्ट का नवीनीकरण होना चाहिए। इस फैसले के साथ कोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया।

न्यायालय का फैसला: नागरिक अधिकारों की सुरक्षा

इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि विचाराधीन आपराधिक मामलों के बावजूद नागरिक अपने पासपोर्ट का नवीनीकरण करा सकते हैं। कोर्ट ने यह निर्णय नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के संदर्भ में लिया है, ताकि किसी भी व्यक्ति को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित न किया जा सके।

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